
हमें शर्मिंदगी महसूस होना चाहिए कि दुनिया के सबसे प्रदूषित 30 शहरों में 21 भारत के हैं और कार्बन उत्सर्जन में भी दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं।इसके लिए हम और हमारे राजनेता जिम्मेदार हैं।पर्यावरण बचाने के लिए सख्त कानून बनाना चाहिए था।किसी भी धर्म और सम्प्रदाय की परंपराएं,अनुष्ठान बंद होना चाहिए अथवा सकारात्मक बदलाव होना चाहिए जिससे प्रदूषण को बढ़ावा मिलता हो।
होली लकड़ी की जलाएं अथवा कंडे अथवा गौकाष्ठ से दोनों विनाशकारी हैं।किसी भी वस्तु को जलाने से ग्लोबल वार्मिंग और धुंवा होगा।
कुछ पर्यावरण प्रेमी होली में गौकाष्ठ जलाने की बात कर रहे हैं परंतु इससे पर्यावरण कैसे बचेगा? यह मेरे समझ से परे है।गौकाष्ठ जलाने से नई समस्या पैदा होगी।जैविक खाद बहुत आवश्यक है, जानवर कम होने से गोबर की कमी है।जानवरों के मांस का निर्यात बंद करना चाहिए।देशी गायों को पालने के लिए सभी को आगे आने की आवश्यकता है।रासायनिक खादों को बिल्कुल बंद होना चाहिए।जैविक खाद फसल के लिए सर्वोत्तम होता है अतः गोबर की मात्रा बढ़ाकर अधिकतम खेती को रासायनिक मुक्त करना चाहिए।
पर्यावरण बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता हरित होली पर्व मनाने के लिए नई शुरुआत करेंगे।
पौधों की पूजा कर, उपहार में देंगे, मिठाई बांट कर, पौधरोपण कर, रक्तदान करके, गुलाल लगाकर आदि तरीके से होली पर्व को पर्यावरण के अनुकूल करेंगे।
कोई सुझाव हो तो अवश्य दीजिये।
शरद सिंह कुमरे
पर्यावरण बचाओ आंदोलन
9406533671,9303119212