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मुलतापी समाचार

मध्यप्रदेश में पिछले करीब एक महीने से जारी सियासी संकट अब लगभग खत्म हो गया है। भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के नेता शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार रात नौ बजे राजधानी भोपाल स्थित राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। राज्यपाल लालजी टंडन ने उन्हें शपथ दिलाई। इससे पहले भाजपा हाईकमान ने उनके नाम पर अपनी मुहर लगा दी थी। हालांकि शिवराज सिंह चौहान को अभी आने वाले समय में मध्यप्रदेश की विधानसभा में फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा। आइए जानते हैं शिवराज सिंह चौहान का अब तक का राजनीतिक सफर कैसा रहा…

शिवराज सिंह चौहान जब पहली बार बने मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान 29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर की जगह पर मध्य प्रदेश के पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। 61 वर्षीय शिवराज सिंह चौहान का जन्म 5 मार्च 1959 को सीहोर जिले के जैत गांव में हुआ था। शिवराज के पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई है। उनके पिता किसान थे।
शिवराज सिंह चौहान किरार राजपूत समुदाय से संबंध रखते हैं। उन्होंने कक्षा चौथी तक की पढ़ाई गांव में ही पूरी की। इसके बाद वह आगे की पढ़ाई के लिए भोपाल आ गए। यहां उन्होंने मॉडल हायर सेकेंडरी स्कूल में दाखिला लिया। यहीं पढ़ाई करते हुए शिवराज सिंह चौहान साल 1975 में छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए।
उच्चतर शिक्षा के लिए शिवराज ने भोपाल के बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और दर्शनशास्त्र में परास्नातक की पढ़ाई की। शिवराज बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के गोल्ड मेडलिस्ट भी रह चुके हैं। बता दें कि शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश के सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर चुके हैं।
आपात काल में जेल भी गए
एक किसान का बेटा होने की पहचान लिए शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार में लगाए गए आपात काल का विरोध किया था, इस दौरान वह साल 1976-77 में जेल भी गए। शिवराज सिंह चौहान जब महज 13 साल के थे तब साल 1972 में वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ गए थे। इसके बाद वे समय-समय पर जन सामान्य के मुद्दों को उठाते रहे।
एबीवीपी से जुड़े और फिर पहली बार लड़ा विधानसभा का चुनाव
- शिवराज सिंह चौहान साल 1977-1978 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संगठन मंत्री बने। साल 1978 से 1980 तक मध्यप्रदेश में एबीवीपी के संयुक्त मंत्री रहे।
- वह 1980 से 1982 तक अखिल भारतीय विधार्थी परिषद के प्रदेश महासचिव रहे और 1982-1983 में परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारणी के सदस्य चुने गए।
- साल 1984-1985 में शिवराज सिंह चौहान को मध्यप्रदेश में भारतीय जनता युवा मोर्चा का संयुक्त सचिव और वर्ष 1985 में महासचिव बनाया गया। इस पद पर वे 1988 तक बने रहे। जबकि साल 1988 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया। इस पद पर वे 1991 तक बने रहे।
- वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव के दौरान पहली बार शिवराज ने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और विधायक बने।
अटल के इस्तीफे के बाद बने सांसद
- विदिशा लोकसभा सीट से साल 1991 में तत्कालीन सांसद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी सीट से त्यागपत्र दे दिया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने यहां से लोकसभा का उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर सांसद बनकर संसद में पहुंचे।
- शिवराज सिंह चौहान सांसद बनने के बाद 6 मई 1992 को साधना के साथ शादी के बंधन में बंध गए। साधना गोंदिया के मतानी परिवार की बेटी थीं। साधना से शिवराज को दो बेटे हैं। वह शहरी स्वर्णकार कॉलोनी के एक छोटे से मकान में रहा करते थे।
- परंतु सांसद बनने पर लोगों का आना-जाना बढ़ा तो उन्होंने विदिशा में शेरपुरा स्थित दो मंजिला भवन किराए पर ले लिया था। शिवराज जब सांसद बने तब कांग्रेस पार्टी की सरकार थी, इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों को उठाया और क्षेत्र में कई पदयात्राएं भी कीं। यही वजह रही कि वह विदिशा संसदीय क्षेत्र में पांव-पांव वाले भैया के नाम से भी पहचाने जाने लगे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री पद तक
- शिवराज सिंह चौहान ने साल 1996 में हुए 11वें लोकसभा चुनाव के दौरान फिर विदिशा दे चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इसके बाद 1998 में जब 12वीं लोकसभा का चुनाव हुआ तो वह विदिशा से ही तीसरी बार सांसद चुने गए।
- इसके बाद साल 1999 में हुए 13वें लोकसभा चुनाव के दौरान शिवराज चौथी बार सांसद बने। इस चुनाव के बाद केंद्र में भाजपा समर्थित एनडीए की सरकार सत्ता में आई। इस दौरान शिवराज सिंह चौहान केंद्र सरकार की ओर से गठित की गई विभिन्न समिति के सदस्य भी रहे।
- वर्ष 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव के दौरान शिवराज पांचवीं बार सांसद चुने गए। जबकि साल 2005 में शिवराज सिंह चौहान को प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाया गया। 29 नवंबर 2005 को जब बाबूलाल गौर ने अपने पद से इस्तीफा दिया तो शिवराज पहली बार मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। इसके अगले ही साल उन्होंने बुधनी विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।