Multapi Samachar

Lalji Tandon in Memories : भोपाल, नवदुनिया। मध्य प्रदेश की स्थापना के बाद यहां की विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका, चौथे स्तंभ के रूप में मीडिया और सामान्य नागरिक 28 राज्यपालों की कार्यशैली देख चुके हैं, सभी की अपनी-अपनी खूबियां रहीं। लेकिन लाल जी टंडन ने मात्र 11 महीने के कार्यकाल में ही राजभवन को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। उनके लंबे सियासी अनुभव, स्वभाव की सरलता और कामकाज की पारदर्शिता ने सभी को प्रभावित किया। यही वजह रही कि मध्य प्रदेश में सियासी संग्राम के बाद, 22 विधायकों का इस्तीफा और कमल नाथ सरकार का पतन भी हुआ लेकिन राज्यपाल के रूप में टंडन की भूमिका बेदाग और निर्विवाद बनी रही।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ से उनके दशकों पुराने रिश्ते हैं लेकिन सरकार गिरने के बाद भी दोनों के संबंधों में कोई अंतर नहीं आया। कमल नाथ सहित अन्य नेताओं ने उनकी कार्यशैली की कई अवसर पर तारीफ भी की। मध्य प्रदेश में हुए सत्ता पलट और सियासी उथल-पुथल के दौरान इस संवेदनशील मामले में भी उन्होंने पूरी पारदर्शिता रखी। संविधान और विधि विशेषज्ञों की राय के साथ अपने लंबे अनुभव के आधार पर न्याय संगत फैसले लिए। राज्यपाल की कुर्सी संभालते ही टंडन ने कमल नाथ सरकार के साथ रिश्तों को गरिमामय ऊंचाइयां देते हुए नई ऊर्जा का अहसास करा दिया। इतना ही नहीं तकरार के मुद्दों को भी पूरी गंभीरता से ‘डील’ कर उनका न सिर्फ सुखांत किया और नया मैसेज भी दे दिया। यह कहने से भी नहीं चूके कि ‘मैं कोई रबर स्टैंप नहीं, वीटो पॉवर भी मेरे पास है।’
फैसलों पर नहीं उठी उंगली
उनके कामकाज पर उम्र का असर कभी नजर नहीं आया, जब सियासी संग्राम जोरों पर था तब राजभवन में रतजगा की स्थिति बनी रही। भोर होने तक सचिवालय में विधि विशेषज्ञों और अधिकारियों से राय मशविरा कर उन्होंने फैसले लिए। देश में ऐसे सत्ता परिवर्तन कई राज्यों में हुए लेकिन अमूमन राज्यपाल की भूमिका को लेकर खूब सवाल उठे और आरोप भी लगे लेकिन टंडन की कार्यशैली इसका अपवाद रही। उनके निर्णयों पर कोई उंगली नहीं उठा सका। सही मायने में उन्होंने अपनी संविधान संरक्षक की भूमिका को सर्वोपरि रखा। नियम-परंपराओं पर जोर नवदुनिया से हुई विशेष बातचीत में भी राज्यपाल टंडन ने इस बात पर जोर दिया था कि नियमों और परंपराओं का पालन होना चाहिए। प्रदेश में सियासी उथल-पुथल जब चरम पर थी, संख्या बल को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के अपने-अपने दावे-प्रतिदावे थे ऐसे नाजुक समय में भी उन्होंने सरकार के आमंत्रण पर विधानसभा जाकर अभिभाषण पढ़ा। इस दौरान भी वह पक्ष-विपक्ष को संविधान और नियम-परंपराओं के पालन की नसीहत देना भी नहीं भूले।
मुलतापी समााचार
One thought on “मध्यप्रदेश Lalji Tandon in Memories : सत्ता परिवर्तन के बावजूद बेदाग रही लालजी टंडन की छवि”