बैतूल- पुरुष प्रधान संस्कृति को पीछे छोड़ते हुए छह बेटी एवं एक बेटी ने अपने पिता की अर्थी को
पुरुष प्रधान संस्कृति को पीछे छोड़ते हुए छह बेटी एवं एक बेटी ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दिया
कहते हैं कि बेटी कभी पिता पर बोझ नहीं होती इसी का जीता जागता उदाहरण आज हमें ग्राम सांडिया में देखने को मिला जहां ग्राम सांडिया के सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री निंबाजी नागले जी का 76 वर्ष की उम्र में अस्थमा के अटैक से 18 अप्रेल 21 को देहांत हो गया था कोरोना काल की आपदा को ध्यान में रखते हुए हैं
परिवार वालों ने ना ही परिजनों को बुलाया और ना ही गांव वासियों को बुलाया
ऐसी परिस्थिति में कल 19 अप्रैल को अन्त्येष्टि छ: बेटियां व एक बेटे ( निरुपमा, करुणा, ममता, हेमलता, बबली, बाली एवम बेटा बुद्धिशंकर नागले) द्वारा कंधा देकर गांव के मोक्ष धाम मैं अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए
सभी छह बहनों एवं एक भाई ने एक साथ मृत पिता को मुखाग्नि भी दी |
Kavita:-
इतनी सारी उलझन है और पप्पा तुम भी पास नहीं
ये बिटिया तो टूट चुकी है, अब तो कोई आस नहीं
पर पप्पा ! तुम घबराना मत, मैं फिर भी जीत के आउंगी
मेरे पास जो आपकी सीख है, मैं उससे ही तर जाऊंगी
कंधा दिया
कहते हैं कि बेटी कभी पिता पर बोझ नहीं होती इसी का जीता जागता उदाहरण आज हमें ग्राम सांडिया में देखने को मिला जहां ग्राम सांडिया के सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री निंबाजी नागले जी का 76 वर्ष की उम्र में अस्थमा के अटैक से 18 अप्रेल 21 को देहांत हो गया था कोरोना काल की आपदा को ध्यान में रखते हुए हैं
परिवार वालों ने ना ही परिजनों को बुलाया और ना ही गांव वासियों को बुलाया
ऐसी परिस्थिति में कल 19 अप्रैल को अन्त्येष्टि छ: बेटियां व एक बेटे ( निरुपमा, करुणा, ममता, हेमलता, बबली, बाली एवम बेटा बुद्धिशंकर नागले) द्वारा कंधा देकर गांव के मोक्ष धाम मैं अंतिम क्रिया कर्म के सभी संस्कार पूरे किए
सभी छह बहनों एवं एक भाई ने एक साथ मृत पिता को मुखाग्नि भी दी |
Kavita:-
इतनी सारी उलझन है और पप्पा तुम भी पास नहीं
ये बिटिया तो टूट चुकी है, अब तो कोई आस नहीं
पर पप्पा ! तुम घबराना मत, मैं फिर भी जीत के आउंगी
मेरे पास जो आपकी सीख है, मैं उससे ही तर जाऊंगी