
बेगमगंज रायसेन। एक और क्षेत्र में विकास की गंगा बहाने वाली बातें जनप्रतिनिधियों द्वारा बराबर की जाती हैं, लेकिन नगर के निकटवर्ती ग्राम कटंगी के अंदर पानी की समस्या के चलते कई लड़कों की शादियां नहीं हो पा रही हैं। ग्रामीण खिरिया गांव या खेतों में बने जल स्रोतों से पानी भरकर लाने के लिए मजबूर हैं। ऐसे ही परेशान महिला-पुरुषों ने एक ज्ञापन एसडीएम अभिषेक चौरसिया को सौंप कर गांव में पेयजल समस्या का स्थाई समाधान कराए जाने की मांग की है।
ग्राम वासियों ने बताया कि गांव में कोई भी सार्वजनिक कुआं नहीं है, एक हैंडपंप है जिसे 400 फीट गहराई तक बोर किया गया था, जिसमें मात्र करीब सो फीट लाइन विभाग द्वारा डाली गई है। पूर्व में पंचायत द्वारा नल-जल योजना के तहत खुदवाए गए कुए से जल की सप्लाई आदिवासियों के लिए की जाती थी लेकिन वह भी 2 साल से बंद डली है। आज गांव में स्थिति यह है कि लोग पानी के लिए दिनभर मशक्कत करते हैं।

गरीब मजदूरों के बच्चों की पढ़ाई भी पानी के कारण ही प्रभावित हो रही है। गांव के लोगों के लिए साइकिल से या पैदल सर पर खैप रखकर महिलाओं को डेढ़ किलोमीटर दूर ग्राम खिरिया से पानी लेकर आना पड़ रहा है। वहां पर भी पानी के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है, कभी-कभी वहां से भी खाली हाथ लौटना पड़ता है।
गांव के ही भगवान दास गौर ने बताया कि शासन एक और तो विकास के दावे करती है लेकिन हरिजन आदिवासी पानी के लिए परेशान हो रहे हैं। पंचायत भी इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। अभी कुछ कम बच्चे कुंवारे हैं, यदि यही स्थिति रही तो कुआरों की संख्या बढ़ जाएगी जो कि वह सभी ओवर एज होते जा रहे हैं। लेकिन कोई उन्हें जल समस्या के चलते अपनी बेटी देने को तैयार नहीं है।
गांव की चंदा रानी, देवा बाई, लक्ष्मी रावत, रचना बाई, राम बाई, नीमा बाई, रीना बाई, मनीषा बाई, सावित्री बाई, राधा बाई, शांति बाई रावत आदि ने बताया कि हम महिलाएं मजदूरी करके अपने परिवार का सहयोग करें या दिन भर पानी को ढोने में अपना समय व्यतीत करें। घर की जल समस्या को देखते हुए बच्चे भी डेढ़ से 2 किलोमीटर दूर से पानी लेकर आते हैं, जिनसे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
जनप्रतिनिधि बड़ी-बड़ी डींगे हांकते हैं, लेकिन शहर के निकट के इस गांव में जल समस्या का समाधान आज तक नहीं करा पा रहे हैं। गांव में ग्राम सभा की बैठक भी कभी आयोजित नहीं होती, जिससे कि गांव की समस्या का समाधान किया जा सके। सरपंच, सचिव भी जल समस्या के समाधान के लिए कोई प्रयास नहीं कर रहे हैं।
हम हरिजन आदिवासी बहुल गांव के निवासी जल समस्या से जूझ रहे हैं, जबकि शासन हरिजन आदिवासियों को ऊपर उठाने के खोखले दावे बराबर करता आ रहा है। ज्ञापन में मांग की गई है कि शीघ्र नल जल योजना के माध्यम से या अन्य किसी माध्यम से गांव में पेयजल उपलब्ध कराया जाए ताकि कुंवारों की संख्या बढ़ने से रुक सके और लोग अपनी बेटियां हमारे गांव में देने को तैयार हो सके।