
मुलतापी समाचार मनोज कुमार अग्रवाल
कानपुर: कानपुर के बुध आश्रम में नीलम से शादी रचाने वाले अनिल ने शायद सपने में भी नहीं सोचा होगा कि लाकडाउन में वह फुटपाथ पर जिस नीलम को भिखारियों के साथ खाने के पैकेट बांट रहा है वह 1 दिन उसके गले में वरमाला पहनाएगा।
नीलम के पिता नहीं है ,मां पैरालिसिस से पीड़ित हैं। भाई और भाभी ने मारपीट कर नीलम को घर से भगा दिया था। नीलम के पास गुजारा करने के लिए कुछ नहीं था, इसलिए वह लाकटाउन में खाना लेने के लिए फुटपाथ पर भिखारियों के साथ लाइन में बैठती थी। अनिल अपने मालिक के साथ रोज सब को खाना देने आता था। इसी दौरान अनिल को जब नीलम की मजबूरियों का पता चला तो उसे उससे प्यार हो गया। फिर क्या भिखारी की लाइन से निकलकर नीलम सात जन्मों के लिए उसकी हमसफर बन गई। अनिल एक प्रॉपर्टी डीलर के यहां ड्राइवर है । उसका अपना घर है, माता-पिता भाई सब है। जबकि नीलम की जिंदगी फुटपाथ पर भीख मांग कर चलती थी। उसे तो यह उम्मीद ही नहीं थी कि कोई उससे भी शादी कर सकता है।
इस शादी को कराने में अनिल के मालिक ललिता प्रसाद का सबसे बड़ा योगदान रहा। अनिल जब दिन में खाना बांट कर आता था तो उससे नीलम के बारे में बातें करता। ललिता भी उसकी भावना समझ गए। उसके बाद ललिता प्रसाद ने उसके पिता को शादी के लिए राजी किया, और दोनों की शादी करा दी। ललिता प्रसाद का कहना है कि अनिल खाना बांटने हमारे साथ जाता था, फिर उसे उस लड़की से लगाव हो गया। मुझसे इस बारे में चर्चा की तो मैंने इसे रात में भी खाना देने को कहा।फिर अनिल खुद खाना बनाकर देने जाने लगा। उसके बाद मैंने अनिल के पिता को राजी किया सिर्फ दोनों की शादी करवा दी। भगवान की कृपा से दोनों बेटा बेटी खुश है।
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