
युद्धभूमि में सैनिकों से लड़ा जाने वाला युद्ध घर के सदस्यों द्वारा घर में लड़ा जा रहा है।
बटोरने वाले हाथ भी अब बांटने के लिए उठने लगे हैं। जो सबक कृष्ण के माखन बांटने वाले हाथ न सिखा सकें वह सबक कोरोना के कातिल हाथों ने सिखा दिया
आज युद्ध, युद्धभूमि और सैनिक भी बदल गए हैं। युद्ध का सारा साजो-सामान, समस्त सैनिक शक्ति सब अप्रासंगिक से हो गए है। युद्ध भूमि पर लड़ा जाने वाला युद्ध अब घर में रहकर अकेले लड़ा जाने लगा है।
घर से लड़ा जाने वाला यह युद्ध विश्व का पहला युद्ध कहलाएगा।
कोरोना ने सारे लोगों की ग्रह राशि ही एक नहीं कर दी अपितु हिंदू-मुसलमान-सिख-ईसाई -यहूदी, बौद्ध से सभी को मनुष्य बना दिया है ।
बटोरने वाले हाथ भी अब बांटने के लिए उठने लगे हैं। जो सबक कृष्ण के माखन बांटने वाले हाथ न सिखा सकें वह सबक कोरोना के कातिल हाथों ने सिखा दिया है।
इस युद्ध ने देश की सरहदों को अप्रासंगिक कर दिया है। इस समय दुनिया की किसी सरहद पर युद्ध नहीं है। युद्ध घरों में लड़े जा रहे हैं। युद्धभूमि में सैनिकों की सहायता से आमने-सामने लड़ा जाने वाला युद्ध घर के सदस्यों द्वारा घर में छिपकर लड़ा जा रहा है। दुश्मन को छिपकर मारा जा रहा है। भगवान राम ने बालि को छिपकर मारा था। आज हर व्यक्ति राम की तरह अपने शत्रु को छिपकर मारने हेतु विवश हैं। इतिहास इतनी जल्दी दोहराया जाएगा इसकी कल्पना भी नहीं थी।
कोरोना ने धर्म-जाति का भेद मिटा दिया है। सभी पर उसकी नजरें गड़ी हुई है। ब्राह्मण, क्षत्रिय,वैश्य शूद्र सभी उसके शिकार हो रहे हैं। समदर्शी बने कोरोना की नजरों में सभी समान है। संभव है, कोरोना के यह कातिल हाथ विश्व को मानवता की नई परिभाषा सिखा दे।